सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश का एक ऐसा भाग है जहां अंग्रेजी शासन से पहले उदार नवाबों का राज था। पौराणिक मान्यतानुसार गोमती नदी के तट पर पुरुषोत्तम राम के पुत्र कुश द्वारा बसाया गया कुशभवनपुर नाम का नगर था। खिलजी वंश के सुल्तान ने भरों को पराजित करके इस नगर को सुल्तानपुर नाम से बसाया। यहां की भौगोलिक उपयुक्त्तता और स्थिति को देखते हुए अवध के नवाब सफदरजंग ने इसे अवध की राजधानी बनाने का प्रयास किया था, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। स्वत्रंता संग्राम के इतिहास में सुल्तानपुर का अहम स्थान रहा है। प्रथम स्वत्रनता संग्राम में ०९ जून १८५७ को सुल्तानपुर के तत्कालीन डिप्टी कामिश्नर की हत्या कर इसे स्वत्रंत करा लिया गया था। संग्राम को दबाने के लिए जब अंग्रेजी सेना ने कदम बढ़ाया तो चांदा के कोइरिपुर में अंग्रेजों से जमकर युद्ध हुआ था। चांदा गभाड़िया नाले के पुल अमहट और कादू नाले पर हुए ऐतिहासिक युद्ध उत्तरप्रदेश की फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश नामक किताब में दर्ज तो है लेकिन आज तक उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में कुछ भी नहीं किया गया। ना स्तंभ बने न शौर्य लेख के शिलापट, यहां की रियासतों में मेहंदी हसन, रजा दियरा जैसी रियासतों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
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